जानिए: तांत्रिक और शमन परंपरा में इन 6 वर्जित चीजों को करना क्यों होता है खतरनाक?

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तांत्रिक निषेध

तांत्रिक निषेधशमन परंपरा और तांत्रिक अनुष्ठानों में कई नियम और वर्जनाएँ होती हैं, जिन्हें तोड़ने पर गंभीर परिणाम हो सकते हैं। अगर आप आध्यात्मिक अनुष्ठानों में रुचि रखते हैं या किसी तांत्रिक क्रिया का हिस्सा बन रहे हैं, तो आपको इन महत्वपूर्ण निषेधों के बारे में जरूर पता होना चाहिए। ये निषेध केवल अंधविश्वास नहीं हैं, बल्कि सदियों से चली आ रही मान्यताओं और अनुभवों पर आधारित हैं। इस लेख में हम ऐसे ही 6 महत्वपूर्ण वर्जनाओं पर चर्चा करेंगे, जिन्हें तोड़ने से अनिष्टकारी प्रभाव पड़ सकता है।

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पूजा स्थान में जूते-चप्पल पहनकर जाना

तांत्रिक और शमन अनुष्ठानों में पूजा स्थल को अत्यंत पवित्र स्थान माना जाता है। इस स्थान में जूते-चप्पल पहनकर जाना बहुत बड़ा अपमान माना जाता है। ऐसा करने से न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा प्रभावित होती है, बल्कि नकारात्मक शक्तियाँ भी सक्रिय हो सकती हैं।

  • कई मान्यताओं के अनुसार, जूते-चप्पल पहनकर पूजा स्थल में प्रवेश करने से स्थान की पवित्रता भंग होती है।
  • यह देवताओं या आत्माओं के प्रति अनादर माना जाता है और इसका परिणाम बुरी किस्मत के रूप में मिल सकता है।
  • कुछ परंपराओं में यह भी कहा गया है कि ऐसा करने से व्यक्ति की ऊर्जा कमजोर हो जाती है, जिससे वह बुरी आत्माओं के प्रभाव में आ सकता है।

इसलिए, यदि आप किसी तांत्रिक या शमन क्रिया में शामिल हो रहे हैं, तो पूजा स्थल में नंगे पाँव ही प्रवेश करें और स्थान की पवित्रता बनाए रखें।

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अनुष्ठान के दौरान हँसना, मजाक उड़ाना या शंका व्यक्त करना

शमन परंपरा में हर क्रिया अत्यंत गंभीरता से की जाती है। किसी भी तांत्रिक अनुष्ठान या पूजा में हँसना, मजाक उड़ाना या शंका व्यक्त करना वर्जित माना जाता है।

  • मान्यता है कि ऐसा करने से अनुष्ठान की ऊर्जा भंग हो जाती है और सकारात्मक शक्तियाँ दूर हो जाती हैं।
  • इससे नकारात्मक शक्तियों का प्रभाव बढ़ सकता है और अनुष्ठान करने वाले व्यक्ति को नुकसान हो सकता है।
  • कई बार, जो लोग इन नियमों का उल्लंघन करते हैं, वे खुद पर ही किसी अनिष्ट का आह्वान कर लेते हैं।

इसलिए, किसी भी शमन क्रिया में शामिल होते समय पूरी श्रद्धा और गंभीरता बनाए रखना अत्यंत आवश्यक है।

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रात्रि के समय पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे बैठना

भारतीय तांत्रिक परंपरा में पीपल और बरगद के पेड़ों को विशेष महत्व दिया जाता है। हालाँकि, रात्रि के समय इन पेड़ों के नीचे बैठना या ठहरना अत्यंत वर्जित माना जाता है।

  • मान्यता है कि ये वृक्ष न केवल सकारात्मक बल्कि नकारात्मक शक्तियों का भी निवास स्थान होते हैं।
  • रात के समय, विशेष रूप से अमावस्या को, इन पेड़ों के नीचे आत्माएँ सक्रिय हो जाती हैं, जिससे व्यक्ति पर उनका असर हो सकता है।
  • कई लोगों ने अनुभव किया है कि इन वृक्षों के नीचे रुकने से उन्हें भय, अजीबोगरीब आवाजें या नकारात्मक ऊर्जा का एहसास हुआ।

इसलिए, यदि आप रात के समय इन पेड़ों के पास जाने वाले हैं, तो सावधानी बरतें और बिना कारण वहाँ न रुकें।

 

अनुष्ठान के बीच में छोड़कर चले जाना

यदि किसी व्यक्ति ने किसी तांत्रिक अनुष्ठान की शुरुआत की है, तो उसे अधूरा छोड़कर जाना बहुत बड़ा दोष माना जाता है।

  • अधूरे अनुष्ठान का प्रभाव नकारात्मक हो सकता है और यह व्यक्ति के जीवन में परेशानी उत्पन्न कर सकता है।
  • यदि किसी कारणवश अनुष्ठान बीच में रोकना पड़े, तो उचित विदाई विधि अपनाई जानी चाहिए।
  • कई बार, अधूरे अनुष्ठानों के कारण व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है।

इसलिए, यदि आप किसी भी प्रकार की साधना या अनुष्ठान कर रहे हैं, तो उसे पूरा करने का प्रयास करें और सही ढंग से समाप्त करें।

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किसी तांत्रिक वस्तु को अनजाने में छूना

शमन और तांत्रिक परंपराओं में कई वस्तुएँ विशेष ऊर्जा से भरी होती हैं। यदि कोई व्यक्ति अज्ञानतावश किसी तांत्रिक वस्तु को छू लेता है, तो इसका असर उस पर पड़ सकता है।

  • कई तांत्रिक वस्तुओं को विशेष अनुष्ठानों के माध्यम से सक्रिय किया जाता है, और उनका अनजान व्यक्ति द्वारा स्पर्श करना नुकसानदायक हो सकता है।
  • यदि किसी व्यक्ति को अनजाने में ऐसी वस्तु छूनी पड़ जाए, तो उसे तुरंत तांत्रिक से परामर्श लेना चाहिए।
  • ऐसी वस्तुओं में तांत्रिक यंत्र, सिद्ध कंकण, तावीज़, और अनुष्ठानिक धागे शामिल होते हैं।

इसलिए, कभी भी किसी अनजान तांत्रिक वस्तु को बिना अनुमति के न छूएँ।

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मृत्युभोज में शामिल होने के तुरंत बाद मंदिर या पूजा स्थल पर जाना

भारतीय तांत्रिक और धार्मिक मान्यताओं में मृत्युभोज (श्राद्ध या किसी की मृत्यु के बाद का भोज) में शामिल होने के तुरंत बाद किसी भी मंदिर, पूजा स्थल या अनुष्ठान में जाने को वर्जित माना जाता है।

  • मान्यता है कि मृत्युभोज के दौरान व्यक्ति पर नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव हो सकता है।
  • यदि व्यक्ति तुरंत किसी पवित्र स्थान पर जाता है, तो उसकी ऊर्जा शुद्ध नहीं होती और वह स्थान की पवित्रता को प्रभावित कर सकता है।
  • कई तांत्रिक परंपराओं में मृत्युभोज के बाद शुद्धिकरण आवश्यक माना गया है।

इसलिए, यदि आप मृत्युभोज में शामिल हुए हैं, तो पहले स्नान करें और शुद्ध होने के बाद ही किसी धार्मिक स्थल पर जाएँ।

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